भाजपा का स्टैंडिंग कमेटी में पेश बजट कागजी और हवा-हवाई

दिल्ली: एमसीडी की स्थायी समिति में पेश किये गए बजट पूरी तरह काग़ज़ी, दिखावटी और हवा-हवाई बताते हुए एमसीडी के नेता प्रतिपक्ष अंकुश नारंग ने कहा कि इस बजट में वायु प्रदूषण, सफ़ाई व्यवस्था, शिक्षा, स्वास्थ्य, बच्चों के कल्याण और खेल सुविधाओं जैसे अहम जनहित के मुद्दों पर न तो कोई स्पष्ट विज़न दिखाई देता और न ही कोई ठोस ज़मीनी कार्ययोजना।आज सदन में बजट पर चर्चा के दौरान उन्होंने बजट में गिनाई गई उपलब्धियों को सिरे से खारिज कर दिया कहा कि 2024-25 में बजट के बावजूद छात्रवृत्ति में व्यय शून्य रहा। कहीं इस बार भी छात्र-छात्राएं छात्रवृत्ति से वंचित न रह जाएं। निगम स्कूलों के सिर्फ 4.26 लाख छात्रों को ही यूनिफॉर्म, स्टेशनरी और स्कूल बैग का पैसा मिला है, अभी भी ढाई लाख बच्चे इससे वंचित हैं। भाजपा शासित एमसीडी 54,623 आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण को अपनी उपलब्धि बता रही है, लेकिन दिल्ली में डॉग बाइट की घटनाएं थम नहीं रही हैं। इसी तरह आयुष्मान मंदिरों में डॉक्टर, दवाइयां और जांच सुविधाएं नहीं हैं। क्या सिर्फ बोर्ड लगा देने से स्वास्थ्य सेवा मजबूत हो जाएंगी? दिल्लीवाले महंगी पार्किंग और मनमाने वसूली से लोग परेशान हैं। भाजपा शासित एमसीडी बताएं कि उन्हें महंगी पार्किंग से कब राहत मिलेगी?
दिल्ली नगर निगम के आयुक्त द्वारा स्टैंडिंग कमेटी में पेश बजट पर शुक्रवार को चर्चा के दौरान नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि यह बजट सिर्फ कागज़ी आंकड़ा बनकर रह गया है। 2024-25 में प्रावधान के बावजूद विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति का बजट व्यय शून्य रहा, जबकि 2025-26 और 2026-27 के लिए फिर से 50 करोड़ रुपए का प्रावधान है। छात्राओं की छात्रवृत्ति के लिए 100 करोड़ का प्रावधान है, लेकिन पिछले वर्ष एक रुपया खर्च नहीं किया गया। निगम के स्कूलों में 6.58 लाख छात्र हैं। अभी केवल 4.26 लाख छात्रों को ही डीबीटी के जरिए यूनिफॉर्म, स्टेशनरी और स्कूल बैग की राशि मिली है। करीब ढाई लाख बच्चे अभी भी वंचित हैं।
उन्होंने कहा कि वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट, घोषणा ज्यादा और परिणाम कम लगती है। आयुक्त ने नरेला-बवाना, ओखला और गाजीपुर में वेस्ट-टू-एनर्जी प्लांट्स की क्षमता बढ़ाने की बात कही है। लेकिन जिन प्लांट्स की आधारशिला रखी गई, उनमें से कितने चालू हुए? 6,374 मवेशियों को गौशालाओं में भेजने के बाद भी सड़कों पर आवारा पशु खुलेआम घूम रहे हैं और आए दिन दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। 54,623 आवारा कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण को उपलब्धि बताई जा रही है, लेकिन डॉग बाइट की घटनाएं जारी हैं। 53 आयुष्मान आरोग्य मंदिरों में नियमित डॉक्टर, दवाइयाँ और जांच सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं। केवल बोर्ड लगने से स्वास्थ्य सेवा सशक्त नहीं होगी। इसी तरह, अभी भी जन्म और मृत्यु पंजीकरण के लिए लोग दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। वहीं, चार ज़ोन में 3.97 लाख स्ट्रीट लाइटों के संचालन एवं रख-रखाव के लिए 592 करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। इतना बजट खर्च करने के बावजूद कई रिहायशी इलाकों, कॉलोनियों और गलियों में महीनों तक स्ट्रीट लाइटें खराब रहती हैं।
दिल्ली के लोग आज भी महंगी पार्किंग और मनमाने वसूली से परेशान हैं। एम-ब्लॉक, ग्रेटर कैलाश में 63.74 करोड़ रुपए से बनी 399 कारों की शटल टाइप पार्किंग हो या पंजाबी बाग श्मशान स्थल पर 31.09 करोड़ रुपए से बनी 255 कार क्षमता वाली मल्टी-लेवल पार्किंग। इन महंगी पार्किंग से सड़कों पर जाम और अवैध पार्किंग कम नहीं हुई है? इसी तरह, औद्योगिक और पुनर्विकास क्षेत्रों में फैक्टरी लाइसेंस के लिए सम्पत्ति कर पर 5 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाकर लाइसेंस स्वतः डाउनलोड करने की व्यवस्था को सुधार बताया जा रहा है। लेकिन जब प्रक्रिया को सरल और डिजिटल बनाया जा रहा है, तो उसके साथ नया शुल्क क्यों जोड़ा गया? कर्मचारियों के वेतन और पेंशन को प्रत्येक माह की पहली तारीख को खातों में जमा करना उपलब्धि नहीं, निगम की जिम्मेदारी है। विगत वर्षों में बार-बार वेतन और पेंशन में देरी हुई, जिससे कर्मचारियों को मानसिक एवं आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। हमारी मांग है कि निगम की समग्र वित्तीय स्थिति पर स्वतंत्र ऑडिट रिपोर्ट स्थायी समिति के समक्ष रखी जाए। डबल एंट्री प्रणाली की पूर्णता, त्रुटियों और प्रभावशीलता पर विस्तृत विवरण प्रस्तुत किया जाए।
नेता प्रतिपक्ष ने बताया कि आज भी सम्पत्तिकर विभाग अव्यवस्था, असमानता और प्रशासनिक विफलताओं से जूझ रहा है। 30 सितम्बर 2025 तक 2269.51 करोड़ रुपये कर-संग्रह और 30 प्रतिशत वृद्धि का दावा किया गया है। निगम बताए कि इस वृद्धि में से कितना हिस्सा नए करदाताओं से आया और कितना पुराने करदाताओं से जबरन वसूली से आया। आज भी लोगों को स्वीकृत ले-आउट प्लान, भवन नियम, थर्ड पार्टी इंस्पेक्टरों की सूची और स्वीकृति प्रक्रिया की जानकारी नहीं मिल पाती। हमारी मांग है कि भवन विभाग की सभी ऑनलाइन प्रणालियों और नीतियों की स्वतंत्र समीक्षा कराई जाए।
06:41 pm 26/12/2025