भ्रष्टाचार छिपाने के लिए किया एमसीडी के शिक्षा निदेशक का तबादला: अंकुश नारंग
दिल्ली: एमसीडी के शिक्षा विभाग के निदेशक का अचानक तबादला करने को लेकर एमसीडी के नेता विपक्ष अंकुश नारंग ने बोला भाजपा पर तीखा हमला कहा कि भाजपा ने अपना भ्रष्टाचार छिपाने के लिए शिक्षा निदेशक का तबादला किया है। भाजपा शासित एमसीडी के शिक्षा विभाग में सीनियरिटी लिस्ट, प्रिंसिपल प्रमोशन लिस्ट और शिक्षकों की ट्रांसफर प्रक्रिया में हो रही लगातार धांधलियों को आम आदमी पार्टी ने हमेशा उठाता है। ‘‘आप’’ द्वारा लगातार शिक्षा विभाग के उठाए गए मुद्दों को संज्ञान में लेते हुए भाजपा ने एमसीडी के शिक्षा निदेशक पद से संजय सिंह को हटा दिया गया। अब निगम आयुक्त सीनियरिटी लिस्ट और प्रिंसिपल प्रमोशन लिस्ट में हुई इन धांधलियों की जांच कराए और दोषियों पर कार्रवाई कर जेल भेजे।
शिक्षा विभाग के निदेशक का तबादला तुरंत प्रभाव से हो गया। “आप” ने लगातार शिक्षा विभाग और भाजपा की मिलीभगत से हो रहे भ्रष्टाचार को उजागर किया था। हमने 30 जून, 2025 को यह उजागर किया था कि शिक्षा विभाग की वरिष्ठता सूची और स्थानांतरण नीति में गड़बड़ी है। जबकि उस समय महापौर ने कहा था कि इसमें कोई गड़बड़ी नहीं है और पदोन्नति व स्थानांतरण बिल्कुल ठीक हो रहा है।1995 से 2002 तक की बन रही वरिष्ठता सूची गलत है। दिल्ली सबऑर्डिनेट सर्विस सिलेक्शन बोर्ड (डीएसएसबी) ने 2001 में पहली भर्ती की थी, तो शिक्षा विभाग ने बिना मापदंड लिए मेरिट कैसे बना दी? जब प्रमोशन सूची ली गई तो मार्क खाली छोड़ दिए गए और लिख दिया कि 30 जून, 2025 को सेवानिवृत्ति। इन्होंने अनुसूचित जाति के शिक्षकों को साफ दरकिनार करते हुए वरिष्ठता सूची और प्रमोशन सूची बनाई।
जब वरिष्ठता सूची सही नहीं थी, तो प्रमोशन सूची कैसे सही हुई? इन दोनों मुद्दों को “आप” ने प्रेस वार्ता करके लगातार उजागर किया। साथ ही, सबूत दिखाए कि स्थानांतरण नीति में कैसे भाजपा और शिक्षा विभाग पैसे लेकर पर्ची बनाकर अपने हिसाब से काम करते हैं। जब 50 शिक्षकों का स्थानांतरण किया गया, तो उनमें से 25 लोग अपना स्थानांतरण चाहते थे, जबकि 25 लोग तबादला नहीं चाहते थे। फिर भी उन्हें जबरदस्ती स्थानांतरित कर दिया गया। इनमें एक स्टेज चार कैंसर रोगी और एक ऑस्टियो आर्थराइटिस मरीज भी शामिल थे। एक शिक्षक का दो साल पहले स्थानांतरण हो चुका था, फिर भी दोबारा स्थानांतरण किया गया। स्थानांतरण रोकने के लिखित आवेदन के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हुई। इससे साफ दिख रहा था कि भाजपा और शिक्षा विभाग मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं।