दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण का ठीकरा केंद्र की बीजेपी शासित सरकार पर । पार्टी के सार्वजनिक मंच से कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव एवं पूर्व मंत्री प्रोफेसर जयराम रमेश ने पाँच बिंदुओं को लेकर केंद्र सरकार को निशाने पर लिया और ये पाँच बिंदु हैं पिछले 10 सालों में वायु प्रदूषण को लेकर कोई कार्यवाही नहीं हुई ।
दिल्ली एवं उसके आसपास के इलाकों में 11 कोयले से चलने वाले पॉवर स्टेशन हैं जो कि दिल्ली को ऊर्जा सप्लाई करते हैं जिनमे से 9 स्टेशन 2009 में निर्धारित मानदंडों को ताक में रखकर चलाए जा रहे हैं । नतीजन दिल्ली वाले घुटन की ज़िंदगी जी रहे हैं। दिल्ली के तीन वेस्ट डिस्पोजल प्लांट हाजीपुर,ओखला एवं भलसवा केमिकल वेस्ट डिस्पोजल दिल्ली वालों को जेहरीली गैस में जीने के लिए मजबूर हैं।
अरावली रेंज में अवैध खनन एवं निर्माणाधीन गतिविधियों भी कुछ हद तक प्रदूषण के लिए ज़िम्मेवार हैं । दिल्ली एवं उसके आसपास के इलाक़ों में लगभग 350 ईटों के भट्टे हैं जो कि वही पुरानी पद्धति से चलाये जा रहे हैं और अंत में यमुना में बढ़ता प्रदूषण जो किसी से छिपा नहीं है ।दिल्ली में 11 सीवरेज डिस्पोजल प्लांट बनाये जाने थे । मात्र 6 प्लांट हैं जिनमे से 3 प्लांट काम कर रहे हैं । दिल्ली का 50 फ़ीसदी पानी ट्रीट होकर यमुना में जाता है बाकी एज़ इट इस यमुना में जाकर प्रदूषित करता है।
उपरोक्त बिंदु दिल्ली को प्रदूषण की दृष्टि से दूसरे शहर का दर्जा देते हैं । क्योंकि दिल्ली की कमांड बहुत हद तक केंद्र के पास होने से ज़्यादा जवाबदेही केंद्र की होती है । पूर्व मंत्री का दावा है कि यदि इंडिया गठबन्धन की सरकार बनती है तो वे 2 साल में स्थिति को नियंत्रण में ले आयेंगे ।