नई दिल्ली 02, Jun 2023

लेख

1 - नहीं होगा बीजेपी के लिऐ आसान कर्नाटक में कांग्रेस के चक्रव्यूह को भेद पाना

2 - रद्द करने के बाद भी नहीं खामोश कर पायेंगे मेरी जुबान

3 - उत्तर-पूर्वी राज्यों के अल्पसंख्यकों ने एक बार फिर बीजेपी पर जताया भरोसा

4 - 7 लाख तक की आमदनी टैक्स फ्री

5 - गुजरात में फिर एक बार लहराया बीजेपी का परचम

6 - बीजेपी आप में काँटे की टक्कर

7 - सीमित व्यवस्था के बावजूद धूम-धाम से हो रही है छट माइय्या की पूजा

8 - जहाँ आज भी पुजा जाता है रावण

9 - एक बार फिर माया नगरी हुई गणपतिमय

10 - एक बार फिर लहराया तिरंगा लाल किले की प्राचीर पर

11 - बलवाइयों एवं जिहादियों के प्रति पनपता सहनभूतिक रुख

12 - आजादी के अमृत महोत्सव की कड़ी के रूप में मनाया जा रहा है 8 वाँ विश्व योग दिवस

13 - अपने दिग्गज नेताओं को नहीं संभाल पाई कांग्रेस पार्टी

14 - ज्ञान व्यापी मस्जिद के वजु घर में शिवलिंग मिलने से विवाद गहराया

15 - आखिर क्यूँ मंजूर है इन्हे फिर से वही बंदिशें.....

16 - पाँच में से चार राज्यों में लहराया कमल का परचम

17 - पेट्रोलियम, फर्टिलाइजर एवं खाद्य सामाग्री पर मिलने वाली राहत में लगभग 27 फीसदी की कटौती

18 - जे&के पुलिस के सहायक उप निरीक्षक बाबूराम शर्मा मरणोपरांत अशोक चक्र से संमानित

19 - आखिर कौन होंगे सत्ता के इस महाभोज के सिकंदर

20 - ठेके आन फिटनेस सेंटर ऑफ छा गए केजरीवाल जी तुस्सी

21 - मुख्य सुरक्षा अधिकारी हुए पंचतत्वों विलीन

22 - दिल्ली में यमुना का पानी का बीओडी लेवेल 50 के पार

23 - फूक के कदम रखिए वरना हो सकता है आपका भी अगला नंबर

24 - महंत नरेंद्र गिरी की मौत पर लगे सवालिया निशान

25 - अकाली दल बादल ने लगाई हैट्रिक

26 - सबके साथ,सबके विकास,सबके विश्वास एवं सबके प्रयास से ही लक्ष्य प्राप्ति संभव

27 - जबरन कराया गया बच्ची का अंतिम संस्कार

28 - सिने जगत के ट्रेज्डी किंग को देश का आखरी सलाम

29 - कोरोना से जंग मे योग ही एक आशा की किरण

30 - संक्रमण काल का मंत्र फिट रहें दुरूस्त रहें

31 - एक बार फिर लहराया पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का परचम

32 - हिंसा एवं टकराव की बिसात पर बंगाल की राजनीति

33 - ट्रेक्टर रैली के नाम पर बलवाइयों का तांडव

34 - 72 वें गणतंत्र दिवस का आकर्षण राम मंदिर की झांकी

35 - किसान आंदोलन का रूख कहीं पंजाब में संभावित चुनाव तो नहीं

36 - बिहार में फिर एक बार यूपीए का परचम

37 - बिहार में इस बार का चुनावी मुद्दा है विकास

38 - जातिगत एवं सांप्रदायिक एंगल से चमकती राजनीति

39 - हाथरस मामले में तुष्टिकरण की राजनीति

40 - गणपति बप्पा मोरया पुढ़ल बरस तू लोकर आ

41 - बालीवुड अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत हत्या या आत्महत्या

42 - आत्मनिर्भर भारत देश के लिये महामंत्र

43 - भूमि पूजन के साथ शुरू हुई राम लला के गृह निर्माण की तैयारी

44 - उत्तर एवं पूर्वोत्तर भारत पर छाया प्राकृति का प्रकोप

45 - साइबर वार ने लिया खतरनाक मोड़

46 - सीमा तनाव के पीछे चीन की दोहरी मानसिक्ता

47 - कोरोना संक्रमण काल में भी सक्रिय है पासों की बिसात पर राजनीति

48 - अनानास मे विस्फोटक पदार्थ डालकर हाथी की हत्या

49 - उड़ीसा एवं वेस्ट बंगाल में तबाही का मंजर

50 - जारी है प्रवासी मजदूरों का भारी संख्या में पलायन

समलैंगिक विवाह की मुखालफत में उतरा संत समाज

मध्य दिल्ली स्थित हनुमान वाटिका में उत्तर एवं दक्षिण भारत के संत समाज ने की समलैंगिक विवाह की मुखालफत। दिखाई दिया खासा रोष । विश्व  हिंदू परिषद दिल्ली प्रांत ने  भी सुप्रीम कोर्ट के समलैंगिक विवाह को अनुमति देने के मामले पर खासा विरोध जताया है।

जैन मुनि संत पूज्य लोकेश मुनि जी ने कहा कि समलैंगिक विवाह भारत की संस्कृति से मेल नहीं खाता अतः ऐसे किसी भी अधिकार को कानूनन मान्यता देना गलत है। उन्होंने कहा हम सभी भारत के संविधान और कानून का सम्मान करते हैं हम यह मानते हैं कि हमारा संविधान सबको अपने ढंग से जीने का अधिकार देता है किंतु निवेदन करना चाहते हैं कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता प्रदान करना निश्चित रूप से भारत की सभ्यता एवं संस्कृति के खिलाफ होगा, उसके साथ खिलवाड़ करने जैसा होगा।

भारत जैसे 135 करोड़ वाली जनसंख्या वाले देश में केवल कुछ लोगों के कहने से 134 करोड़ से भी ज्यादा लोगों की सभ्यता और संस्कृति को खतरे में डाल देना इस पर चिंतन करने की आवश्यकता है। विश्व हिंदू परिषद के प्रांत अध्यक्ष श्री कपिल खन्ना जी ने कहा कि हम भारत की न्याय व्यवस्था का सम्मान करते हैं। हमने सालों तक राम मंदिर के लिए कोर्ट के सम्मानजनक आदेश का इंतजार किया है आज भी हम भारत की न्याय व्यवस्था में पूरी श्रद्धा रखते हैं और इस व्यवस्था से अपने प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण की उपेक्षा करते हैं। उन्होंने कहा उपस्थित संत समाज के साथ-साथ सामाजिक व्यवस्था में भी लोग इस व्यवस्था को लेकर द्रवित और चिंतित है। यह आम धारणा है कि समलैंगिकता को मान्यता प्राप्त होने से भारत की संस्कृति और सभ्यता और भारत की मूलभूत धार्मिक भावनाओं को खतरे में डालने जैसा होगा। पूज्य बौद्ध संत भंते संघप्रिय राहुल का कहना है कि समाज विवाह को परिभाषित करता है और कानून उसे केवल मान्यता देता है।
विवाह कानून द्वारा रचित एक सामाजिक संस्था नहीं है बल्कि यह एक सदियों पुरानी संस्था है जिसे समाज ने समय के साथ परिभाषित और विकसित किया है। एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव के द्वारा चुनी गई सरकार लोगों की इच्छाओं को व्यक्त करती है विधानमंडल के माध्यम से व्यक्त की गई जन अभिव्यक्ति से विवाह जैसी संस्था में कोई भी संशोधन प्रभावी नहीं होना चाहिए। दक्षिण भारत से पूज्य स्वामी शिवाजी राव, स्वामी रामानन्द स्वामिंगल, पूज्य आत्मानन्द स्वामिंगल, इस्कॉन से मुरली प्रभु सहित विश्व हिंदू परिषद के दिल्ली प्रांत सह मंत्री अशोक गुप्ता ने अपने विचार रखे। 

04:09 pm 28/04/2023

संपादक

डा. अशोक बड़थ्वाल

Mobile : 91-9811440461

editor@dhanustankar.com

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19 - कैब एग्रीगेटर्स को जल्द ही बढ़ानी पड़ेगी अपने बेड़े में ई व्हीकल की भागिदारी

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23 - 2016 से 2022-23 तक दिल्ली के प्रदूषण में 30 फीसदी कमी केजरीवाल का दावा

24 - समलैंगिक विवाह की मुखालफत में उतरा संत समाज

25 - आगामी 28 एवं 29 मई को तय होगी पत्रकारों की रणनीति

26 - गुरुद्वारा श्री कोतवाली साहिब मोरिंडा में गुरुग्रंथ साहिब साहिब के साथ बेअदबी

27 - व्यापारी को धमकाकर 1 करोड़ की जबरन वसूली की फिराक में था ड्राइवर

28 - बलराम झा सहित 32 आप कार्यकर्ता बीजेपी में शामिल

29 - एमसीडी की व्यावसायिक प्रॉपर्टी करदाता को राहत

30 - सिख जरनैल जस्सा सिंह रामगढ़िया जन्म शताब्दी समागम पर हुऐ खर्चे को लेकर सक्रिय हुई सिख सियासत

31 - जीएसटी की सबसे ज्यादा गाज किसानों पर

32 - पत्रकारिता के बदलते परिवेश के मद्देनजर कहीं पत्रकार रजिस्टर के साथ पत्रकार सुरक्षा कानून जरूरी

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